Sunday, October 30, 2011

पहली प्राथमिकता जनलोकपाल बिल

हमारी पहली प्राथमिकता जनलोकपाल बिल पारित करवाना है तथा इंडिया अगेंस्ट करपशन के सभी सम्मानित सदस्यों को एक बात समझ लेनी चाहिए कि हमें हमारे सेनापति अन्ना हजारे जी की तरफ से जो भी निर्देश प्राप्त होते हैं उनका अनुशासित सेना के सदस्य की तरह पालन करना है.अन्य मुद्दों पर जनलोकपाल के पारित हो जाने के बाद भी बात हो सकती है.यह समय आलोचना व प्रत्यालोचना का नहीं है,बस एकजुटता बनाये रखनी है और आन्दोलन को सफल बनाना है. स्वतंत्र भारत में इतना बड़ा व इस प्रकार का आन्दोलन पहली बार हुआ है जिसमें देश के हर कोने से हर जाति,धर्म,विचारधारा व आयु वर्ग के स्त्री-पुरुषों ने स्वत:स्फूर्त सक्रिय सहभागिता निभाई हो . हमें छोटी-मोटी खामियों की तरफ ध्यान नही देना है. हर आन्दोलन की सफलता उसके समर्पित व कर्मठ कार्यकर्ताओं पर निर्भर करती है.

Friday, October 28, 2011

अन्ना हजारे का आन्दोलन

जब भी कोई बड़ा आन्दोलन चलता है तो उसमें छोटी मोटी खामियाँ रह ही जाती हैं.अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाये जा रहे आन्दोलन में विभिन्न विचारधाराओं के लोग जुड़े हुए हैं. ऐसा भी नहीं है कि इस आन्दोलन से जुड़ा हुआ हर व्यक्ति पूरी तरह से ईमानदार ही है.हर मकसद से लोग जुड़ते हैं,कुछ लोग इसका भी अपने निजी स्वार्थ हेतु प्रयोग कर सकते हैं और कर भी रहे हैं. कुछ लोग भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं तो कुछ लोग अन्य कारणों से.यह तो तय है कि लोग चारों ओर व्याप्त भ्रष्टाचार से त्रस्त हो गए हैं तथा उस से मुक्ति चाहते हैं . अत: हमें आन्दोलन को सफल बनाने की तरफ ही ध्यान केन्द्रित करना होगा.सबसे पहले तो उन लोगों को जो निःस्वार्थ भाव से देश हित में इस आन्दोलन से जुड़े हैं यह करना पडेगा कि आन्दोलन की खामियों को बढ़ा चढ़ा कर सार्वजनिक रूप से प्रचारित प्रसारित न करें क्योंकि विरोधी तो पहले से ही चाहते हैं कि आन्दोलन सफल न हो.ऐसा करके हम विरोधियों को ही उनके मकसद में कामयाब होने में मदद करेंगे.दूसरी बात यह कि जो लोग पहले से कोर कमेटी के सदस्य रहे हैं और किन्ही कारणों से कोर कमेटी से अलग हो रहे हैं उन्हें भी अलग होने के बाद टीम अन्ना के दूसरे सदस्यों पर आरोप प्रत्यारोप से बचना चाहिए,अन्यथा उनकी स्वयं की आन्दोलन के प्रति निष्ठा सवालों के घेरे में आ जाती है. कोर ग्रुप की बैठकों में हर मुद्दे पर खुलकर बहस की जा सकती है.राष्ट्रहित में चलाये जा रहे आन्दोलनों में व्यक्तिगत अहम् व महत्वाकांक्षा का परित्याग कर त्याग की भावना से ही कार्य करना पडेगा.तीसरी बात यह कि अन्ना हजारे जी या उनकी टीम के सदस्यों को भी हर व्यक्ति की बातों पर सफाई देने या उनकी बातों का जवाब देने की आवश्यकता नही है.हाँ यदि माननीय प्रधान मंत्री जी या उस स्तर के किसी व्यक्ति ने कोई आरोप लगाया हो तभी ऐसे किसी आरोप आदि पर बड़ी ही शालीनता से अन्ना जी के स्तर पर ही सफाई या जवाब दिया जाना चाहिए.अन्य लोगों को तो केवल आन्दोलन को सही ढंग से चलाने में ही रूचि रखनी चाहिए.चौथी और अंतिम बात यह कि अन्ना हजारे जी की कोर कमेटी के विस्तार किये जाने की बात से मैं सहमत हूँ.मेरा मत है कि कोर कमेटी में हर राज्य से कम से कम तीन सदस्य रखे जायें तथा वे सदस्य ऐसे हों जिनका चरित्र पूरी तरह से बेदाग़ हो ताकि उन पर कोई उंगली न उठा सके.हमें यह भी याद रखना चाहिए कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई कुछ दिनों,महीनों या वर्षों में समाप्त होने वाली नहीं है,यह तो भ्रष्टाचार के समूल निवारण तक अनवरत रूप से चलती रहेगी तथा इस संघर्ष में कई लोगों को अपने प्राणों तक की आहुति देनी पड़ेगी..जय हिंद !!

Thursday, October 27, 2011

Digvijay Singh's statements will help congress ?

I don’t know what prompts Digvijay Singh Ji to issue such statements. He is a senior congress leader having quite a long political experience. He should talk against his political opponents and the like minded persons will certainly appreciate his statements hitting his political opponents. But he must remember it is not only the members or sympathizers of a particular political party ensuring win in any election. The role of politically neutral or impartial floating voter is much more and becomes a deciding factor. As an impartial political analyst I am compelled to believe Digvijay Singh Ji himself is damaging congress more than any one else. May be he has some hidden agenda out of frustration. In Hindi a proverb is generally used “Na khud khayenge,na kisi ko khane denge”(neither we will eat nor will allow anyone to eat).May be he is moving on same line for congress itself,otherwise he is congress general secretary like a general of an Army. Any intelligent general will never like to open many fronts at a time. No Army whatever strong may it be, can win a battle fought in many fronts simultaneously. If he speaks against or abuse every political party, every social activist, every religious leader and every spiritual leader who will support him or his party? Even in congress every one is not his follower and there are many party members who don’t like his everyday statements. May be congress high command too is unaware of the damage he is causing to the party.

Thursday, October 20, 2011

Kiran Bedi's travelling Bills

कई मामलों में ऐसा होता है कि यात्रा भत्ते की पात्रता किसी विशेष श्रेणी के किराये की दी जाती है भले ही आप किसी भी श्रेणी में यात्रा करें.यदि किरण बेदी को इसी सुविधा के अंतर्गत आयोजकों द्वारा किराया भुगतान किया गया है तथा किरण बेदी ने अपने N.G.O. के लिए पैसा बचाया है तो कोई बुराई नही है.पर यदि सरकारी नियमो की तरह ही आयोजकों के यात्रा भत्ता नियमों में वास्तविक किराये के भुगतान का ही प्रावधान हो तो उनका वास्तविक खर्च से अधिक किराया वसूलना निश्चित ही गलत है.

Tuesday, October 18, 2011

Team Anna's Campaign in UP

In my opinion Anna Hazare and his anti-corruption team should not waste their energy to campaign against Congress in Assembly elections in 2012 even if Janlokpal is not passed in winter session of parliament.In that case they can defeat congress in those states where it is already going to be defeated without Anna's campaign to vote out congress.Campaign against Congress in five states will help little to curb corruption as people have only option to choose from amongst corrupts in present political situations. They must prepare themselves for a final battle in parliamentary elections 2014 and must try to awaken people to elect only honest candidates voting out corrupt candidates from any political party.

Monday, October 17, 2011

Team Anna's campaign against corruption

उत्तर प्रदेश में ही नहीं हर राज्य में भ्रष्टाचार है .टीम अन्ना को भी यह अच्छी तरह ध्यान में रखना चाहिए कि उनके ऊपर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगना शुरू हो गए हैं.हो सकता है कि ये आरोप बेबुनियाद हों और ईर्ष्या वश या टीम अन्ना को बदनाम करने के उद्देश्य से ही लगाए गए हों पर विशेष सावधानी की जरूरत है.वैसे भी आज के युग में पूरी तरह से ईमानदार लोगों का मिल पाना असंभव नहीं तो बहुत मुश्किल है.भ्रष्टाचार के विरुद्ध देशव्यापी लड़ाई में लाखों लोग भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं ,इसका मतलब यह नहीं कि सब ही ईमानदार हैं. विभिन्न क्षेत्रों के दौरे करते समय यह भी ध्यान रखा जाये कि कहीं कोई भ्रष्ट व्यक्ति तो मंच शेयर नही कर रहा है या फिर उस क्षेत्र में इंडिया अगेंस्ट करप्शन का संयोजक या प्रमुख कार्यकर्ता तो नहीं है.बाद में राहुल गांधी की तरह न हो कि वो बिल्ला से लिफ्ट लेने से पहले उसके बारे में नहीं जानते थे. साथ ही टीम अन्ना के सदस्यों को अपनी भाषा भी पूरी तरह संतुलित रखनी चाहिए.