विशेषाधिकार नोटिस के जवाब में अरविन्द केजरीवाल ने जो कुछ कहा है मैं उसका पूरी तरह से समर्थन करता हूँ. किसी को सम्मान देना या न देना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है तथा किसी भी व्यक्ति को इसके लिए बाध्य नही किया जा सकता.सम्मान माँगने से नही मिलता बल्कि जो इसको पाने का हक़दार है उसे स्वयं ही मिल जाता है. क्या आज देश के अधिकांश राजनीतिज्ञ इस सम्मान को पाने के हकदार हैं ? नहीं. १९४२ के भारत छोडो आन्दोलन के दौरान महात्मा गांधी ने "करो या मरो" का नारा दिया था. आज ७० वर्षों बाद यह "करो या मरो" का नारा एक बार फिर दोहराने की जरूरत है. उस समय की मांग थी "अंग्रेजों भारत छोडो". आज की माँग है " भ्रष्टाचारियो व अपराधियों संसद छोड़ो ". जब तक संसद में बैठे हुए भ्रष्ट व आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को अच्छे,ईमानदार व स्वच्छ छवि वाले व्यक्तियों से प्रतिस्थापित नही कर दिया जाता तब तक लोकतंत्र के इस पवित्र मंदिर की पवित्रता व सर्वोच्चता को पुनर्स्थापित कर इसका खोया हुआ सम्मान वापस नही लौटाया जा सकता. यह काम केवल टीम अन्ना का ही नहीं बल्कि संसदीय लोकतंत्र में आस्था रखने वाले हर भारतीय नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि अपराधियों और भ्रष्ट आचरण वाले लोगों को संसद और विधान सभाओं से बाहर खदेड़ने के पुनीत कार्य में अपना हर संभव पुरजोर सहयोग करें.
भारत माता की जय.
!!!जय हिंद !!!
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Friday, March 30, 2012
Tuesday, November 8, 2011
Janlokpal:Wait for winter session of parliament.
I think team Anna must have been tired with their hectic tours. The Janlokpal issue is so publicized and deep rooted in the minds of people that it does not require any more publicity at this stage. So far as pressure building is concerned Govt is already under pressure and is well aware of the repercussions of not passing the Janlokpal Bill in winter session of parliament.Let us wait for the winter session. The overwhelming support against corruption and for Janlokpal was self motivated and now there are two clear schools of thoughts, one supporting a strong lokpal bill and the other opposing it. The supporters are ready to mobilize again whenever a call is given by Anna Hazare, the sole leader of Janlokpal movement. It is true that a single person can’t lead and run any nationwide agitation all alone and a well organized team is always required but the team should not invite many controversies. Allegations, counter allegations and more clarifications may divert peoples mind, the opponents are already trying their best to divert and dilute the issue. I suggest team Anna to take some rest and wait till winter session of parliament. During their leisure they can plan and well organize themselves for future agitations. If a strong Lokpalbill is not passed in the winter session of parliament fresh agitation must be started and supporters are prepared to fight and win the battle.
Friday, October 28, 2011
अन्ना हजारे का आन्दोलन
जब भी कोई बड़ा आन्दोलन चलता है तो उसमें छोटी मोटी खामियाँ रह ही जाती हैं.अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाये जा रहे आन्दोलन में विभिन्न विचारधाराओं के लोग जुड़े हुए हैं. ऐसा भी नहीं है कि इस आन्दोलन से जुड़ा हुआ हर व्यक्ति पूरी तरह से ईमानदार ही है.हर मकसद से लोग जुड़ते हैं,कुछ लोग इसका भी अपने निजी स्वार्थ हेतु प्रयोग कर सकते हैं और कर भी रहे हैं. कुछ लोग भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं तो कुछ लोग अन्य कारणों से.यह तो तय है कि लोग चारों ओर व्याप्त भ्रष्टाचार से त्रस्त हो गए हैं तथा उस से मुक्ति चाहते हैं . अत: हमें आन्दोलन को सफल बनाने की तरफ ही ध्यान केन्द्रित करना होगा.सबसे पहले तो उन लोगों को जो निःस्वार्थ भाव से देश हित में इस आन्दोलन से जुड़े हैं यह करना पडेगा कि आन्दोलन की खामियों को बढ़ा चढ़ा कर सार्वजनिक रूप से प्रचारित प्रसारित न करें क्योंकि विरोधी तो पहले से ही चाहते हैं कि आन्दोलन सफल न हो.ऐसा करके हम विरोधियों को ही उनके मकसद में कामयाब होने में मदद करेंगे.दूसरी बात यह कि जो लोग पहले से कोर कमेटी के सदस्य रहे हैं और किन्ही कारणों से कोर कमेटी से अलग हो रहे हैं उन्हें भी अलग होने के बाद टीम अन्ना के दूसरे सदस्यों पर आरोप प्रत्यारोप से बचना चाहिए,अन्यथा उनकी स्वयं की आन्दोलन के प्रति निष्ठा सवालों के घेरे में आ जाती है. कोर ग्रुप की बैठकों में हर मुद्दे पर खुलकर बहस की जा सकती है.राष्ट्रहित में चलाये जा रहे आन्दोलनों में व्यक्तिगत अहम् व महत्वाकांक्षा का परित्याग कर त्याग की भावना से ही कार्य करना पडेगा.तीसरी बात यह कि अन्ना हजारे जी या उनकी टीम के सदस्यों को भी हर व्यक्ति की बातों पर सफाई देने या उनकी बातों का जवाब देने की आवश्यकता नही है.हाँ यदि माननीय प्रधान मंत्री जी या उस स्तर के किसी व्यक्ति ने कोई आरोप लगाया हो तभी ऐसे किसी आरोप आदि पर बड़ी ही शालीनता से अन्ना जी के स्तर पर ही सफाई या जवाब दिया जाना चाहिए.अन्य लोगों को तो केवल आन्दोलन को सही ढंग से चलाने में ही रूचि रखनी चाहिए.चौथी और अंतिम बात यह कि अन्ना हजारे जी की कोर कमेटी के विस्तार किये जाने की बात से मैं सहमत हूँ.मेरा मत है कि कोर कमेटी में हर राज्य से कम से कम तीन सदस्य रखे जायें तथा वे सदस्य ऐसे हों जिनका चरित्र पूरी तरह से बेदाग़ हो ताकि उन पर कोई उंगली न उठा सके.हमें यह भी याद रखना चाहिए कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई कुछ दिनों,महीनों या वर्षों में समाप्त होने वाली नहीं है,यह तो भ्रष्टाचार के समूल निवारण तक अनवरत रूप से चलती रहेगी तथा इस संघर्ष में कई लोगों को अपने प्राणों तक की आहुति देनी पड़ेगी..जय हिंद !!
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Thursday, October 20, 2011
Kiran Bedi's travelling Bills
कई मामलों में ऐसा होता है कि यात्रा भत्ते की पात्रता किसी विशेष श्रेणी के किराये की दी जाती है भले ही आप किसी भी श्रेणी में यात्रा करें.यदि किरण बेदी को इसी सुविधा के अंतर्गत आयोजकों द्वारा किराया भुगतान किया गया है तथा किरण बेदी ने अपने N.G.O. के लिए पैसा बचाया है तो कोई बुराई नही है.पर यदि सरकारी नियमो की तरह ही आयोजकों के यात्रा भत्ता नियमों में वास्तविक किराये के भुगतान का ही प्रावधान हो तो उनका वास्तविक खर्च से अधिक किराया वसूलना निश्चित ही गलत है.
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Monday, October 17, 2011
Team Anna's campaign against corruption
उत्तर प्रदेश में ही नहीं हर राज्य में भ्रष्टाचार है .टीम अन्ना को भी यह अच्छी तरह ध्यान में रखना चाहिए कि उनके ऊपर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगना शुरू हो गए हैं.हो सकता है कि ये आरोप बेबुनियाद हों और ईर्ष्या वश या टीम अन्ना को बदनाम करने के उद्देश्य से ही लगाए गए हों पर विशेष सावधानी की जरूरत है.वैसे भी आज के युग में पूरी तरह से ईमानदार लोगों का मिल पाना असंभव नहीं तो बहुत मुश्किल है.भ्रष्टाचार के विरुद्ध देशव्यापी लड़ाई में लाखों लोग भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं ,इसका मतलब यह नहीं कि सब ही ईमानदार हैं. विभिन्न क्षेत्रों के दौरे करते समय यह भी ध्यान रखा जाये कि कहीं कोई भ्रष्ट व्यक्ति तो मंच शेयर नही कर रहा है या फिर उस क्षेत्र में इंडिया अगेंस्ट करप्शन का संयोजक या प्रमुख कार्यकर्ता तो नहीं है.बाद में राहुल गांधी की तरह न हो कि वो बिल्ला से लिफ्ट लेने से पहले उसके बारे में नहीं जानते थे. साथ ही टीम अन्ना के सदस्यों को अपनी भाषा भी पूरी तरह संतुलित रखनी चाहिए.
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